यमुना के आंचल की शीतलता कुबेर के खजाने से कम नहीं है इसी शीतलता में संस्कारित होकर बाह के दो गांव राष्ट्र प्रेम के ज्वार से लवरेज होकर देशसेवा को समर्पित हो गए,जी हम बात कर रहे यमुना की तलहटी में बसे दो गांवों,सैनिकों के गांव 'रुदमुली' और 'अफसरों' के गांव कमतरी की,इन गांवों का इतिहास भदावर की माटी की कहावत,एक हाथ में मूछ और एक हाथ में बंदूक को चरितार्थ कर देता है जब शौर्य के क्षेत्र में रुदमुली के रणवाकुरे भारत माँ की एक पुकार पर दर्जनों शहादतें देकर भी अपनी बंदूक को नीचे नहीं होने देते तथा हर घर से कम एक नोजबान सीमा पर भारत मां की रक्षा के लिए डटा रहता है इसी गांव के व्रगेडियर रणवीर सिंह के नाम कश्मीर में आर एस पुरा सेक्टर बसा हुआ है,जो क्षेत्र के लिए बड़े गौरव वात है,
अपने ज्ञान कौशल से देश के सामने एक नई नजीर पेश करते हुए बाह के एक ही गांव चंद्रपुर कमतरी से कई दर्जन आई ए एस,आई पी एस और अन्य अफसर,इस भूमि से निकलकर राष्ट्र के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर देश को नई दिशा देकर भदावर की एक हाथ में मूछ की वात भी सटीक सावित कर रहे हैं इसी गांव से एस एन चतुर्वेदी DGP,अतुल चतुर्वेदी (प्रधानमंत्री के सलाहगार),अशोक चतुर्वेदी(REW चीफ),भगवत स्वरूप चतुर्वेदी(उत्तरप्रदेश के पहले आई जी) आदि लोग प्रमुख पदों आसीन रहे जो बाह के लिए बड़े गौरव की बात है
1-हर घर में शरहद का रखवाला:~मरना है तो मरिये वतन के लिए,तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए,यह पक्तियां बाह के रुदमुली गांव के रणबाकुरों पर चरितार्थ होती दिखाई पड़तीं हे,यहां के जवाज युद्ध के मैदान में अपनी शौर्य गाथा लिखने से कभी नहीं चूके,ग़दर से लेकर कारगिल तक,प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर पाकिस्तान वार तक,हर जंग में शहादत देते हुए,सीमाओं पर दुश्मनों के दांत खट्टे करते रहे,हर जंग में रुदमुली के जांबाजों ने हौसले से एक नई इबारत लिखी,जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित,16 दिसंबर सन् 1971 का वह दिन याद करते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है ये वही दिन है जब भारतीय रणबांकुरों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर उन्हें हथियार डालने को मजबूर किया था। अपने युद्धकौशल से ढाका, हिल्ली, अकोरा, पोस्ट को कब्जाते हुए पाक सेना को बामेर तक खदेड़कर तिरंगा फहराया था 41 वर्ष पूर्व हुए उस युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में आगरा की बाह तहसील के 350 जवानों ने भी महती भूमिका निभाई थी। इनमें से 88 सैनिक अकेले रुदमुली गांव के थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा था। इस युद्ध में जसकरन सिंह की शहादत ने भदावर की वीरता का भी मान बढ़ाया। रुदमुली से पूर्वी सेक्टर में सर्वजीत, विष्णु बहादुर, कर्नल रामाधार सिंह, कैप्टन निहाल सिंह, दिनेश प्रताप आदि तथा पश्चिमी सेक्टर में अतर सिंह, श्रीराम, महेंद्र पाल सिंह, नरेंद्र सिंह, श्रीचंद्र, दुर्गाविजय सिंह, भूपेंद्र सिंह, नजले, मूलचंद्र बरुआ, पातीराम आदि ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे किए थे ।
२-हर दूसरे घर में आई ए एस,आई पी एस:~यह बगिया उन अफसरों की पौध है जो हालातों को पटखनी देते हुए हर रोज नए कीर्तमान रच रही थी हम बात कर रहे हैं चंबल की तलहटी और प्रकृति की गोद में फले फूल अफसरों गांव चंद्रपुर कमतरी की,बैसे तो यह गांव आज लगभग बदहाल हो गया है लेकिन इसका गौरव साली इतिहास हमें बार बार लिखने पर मजबूर कर देता,बाह से 9 किलोमीटर दूर दो गांव चंद्रपुर कमतरी जो सन्धि होकर एक हो गए हैं एक दूसरे के बिना अधूरे,पांच दर्जन अफसरों की शिक्षण स्थली और जन्म स्थली रहे हैं यहीं स्थित प्राथमिक विद्यालय में अफसरों की यह पौध तैयार हुई है जो पूरे देश भदावरी संस्कारों से पूरे देश को महंका रही है इस गांव से जस्टिस प्यारे लालजी(विकानेर रियासत के चीफ जस्टिस),चौबे हरगोविंद पाठक(चीफ आर्केटक पटियाला रियासत),एस एन चतुर्वेदी(DGP),अमरनाथ चतुर्वेदी(मुख्य वन संरक्ष), परमानन्द चतुर्वेदी(मुख्य वन संरक्षक),फरेंद्र नाथ चतुर्वेदी(A D G),योगेंद्र नाथ चतुर्वेदी(कैविनेट सचिव),भगवत स्वरूप चतुर्वेदी(उत्तर प्रदेश के पहले आईजी),अशोक चतुर्वेदी(REW चीफ),सुधीर चतुर्वेदी (मुख्य सचिव),पृथ्वीनाथ चतुर्वेदी(शिक्षा सचिव)अतुल चतुर्वेदी(सलाहकार प्रधानमंत्री),कृष्णकांत चतुर्वेदी (DGP) रहे, अजय चतुर्वेदी(पी सी एस),प्रशांत चतुर्वेदी (आई पी एस), अरविन्द चतुर्वेदी (कर्नल),वी एन चतुर्वेदी(जज) ,शैलेंद्रनाथ चतुर्वेदी (चांसलर),अभषेक चतुर्वेदी(कैप्टन),गौरव(आई ए एस) आदि ऐसे कई आला अधिकारी हुए जो इस क्षेत्र रास्ट्रीय पटल पर अगुवानी करते रहे।
अपने ज्ञान कौशल से देश के सामने एक नई नजीर पेश करते हुए बाह के एक ही गांव चंद्रपुर कमतरी से कई दर्जन आई ए एस,आई पी एस और अन्य अफसर,इस भूमि से निकलकर राष्ट्र के उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर देश को नई दिशा देकर भदावर की एक हाथ में मूछ की वात भी सटीक सावित कर रहे हैं इसी गांव से एस एन चतुर्वेदी DGP,अतुल चतुर्वेदी (प्रधानमंत्री के सलाहगार),अशोक चतुर्वेदी(REW चीफ),भगवत स्वरूप चतुर्वेदी(उत्तरप्रदेश के पहले आई जी) आदि लोग प्रमुख पदों आसीन रहे जो बाह के लिए बड़े गौरव की बात है
1-हर घर में शरहद का रखवाला:~मरना है तो मरिये वतन के लिए,तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए,यह पक्तियां बाह के रुदमुली गांव के रणबाकुरों पर चरितार्थ होती दिखाई पड़तीं हे,यहां के जवाज युद्ध के मैदान में अपनी शौर्य गाथा लिखने से कभी नहीं चूके,ग़दर से लेकर कारगिल तक,प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर पाकिस्तान वार तक,हर जंग में शहादत देते हुए,सीमाओं पर दुश्मनों के दांत खट्टे करते रहे,हर जंग में रुदमुली के जांबाजों ने हौसले से एक नई इबारत लिखी,जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित,16 दिसंबर सन् 1971 का वह दिन याद करते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है ये वही दिन है जब भारतीय रणबांकुरों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर उन्हें हथियार डालने को मजबूर किया था। अपने युद्धकौशल से ढाका, हिल्ली, अकोरा, पोस्ट को कब्जाते हुए पाक सेना को बामेर तक खदेड़कर तिरंगा फहराया था 41 वर्ष पूर्व हुए उस युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में आगरा की बाह तहसील के 350 जवानों ने भी महती भूमिका निभाई थी। इनमें से 88 सैनिक अकेले रुदमुली गांव के थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा था। इस युद्ध में जसकरन सिंह की शहादत ने भदावर की वीरता का भी मान बढ़ाया। रुदमुली से पूर्वी सेक्टर में सर्वजीत, विष्णु बहादुर, कर्नल रामाधार सिंह, कैप्टन निहाल सिंह, दिनेश प्रताप आदि तथा पश्चिमी सेक्टर में अतर सिंह, श्रीराम, महेंद्र पाल सिंह, नरेंद्र सिंह, श्रीचंद्र, दुर्गाविजय सिंह, भूपेंद्र सिंह, नजले, मूलचंद्र बरुआ, पातीराम आदि ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे किए थे ।
२-हर दूसरे घर में आई ए एस,आई पी एस:~यह बगिया उन अफसरों की पौध है जो हालातों को पटखनी देते हुए हर रोज नए कीर्तमान रच रही थी हम बात कर रहे हैं चंबल की तलहटी और प्रकृति की गोद में फले फूल अफसरों गांव चंद्रपुर कमतरी की,बैसे तो यह गांव आज लगभग बदहाल हो गया है लेकिन इसका गौरव साली इतिहास हमें बार बार लिखने पर मजबूर कर देता,बाह से 9 किलोमीटर दूर दो गांव चंद्रपुर कमतरी जो सन्धि होकर एक हो गए हैं एक दूसरे के बिना अधूरे,पांच दर्जन अफसरों की शिक्षण स्थली और जन्म स्थली रहे हैं यहीं स्थित प्राथमिक विद्यालय में अफसरों की यह पौध तैयार हुई है जो पूरे देश भदावरी संस्कारों से पूरे देश को महंका रही है इस गांव से जस्टिस प्यारे लालजी(विकानेर रियासत के चीफ जस्टिस),चौबे हरगोविंद पाठक(चीफ आर्केटक पटियाला रियासत),एस एन चतुर्वेदी(DGP),अमरनाथ चतुर्वेदी(मुख्य वन संरक्ष), परमानन्द चतुर्वेदी(मुख्य वन संरक्षक),फरेंद्र नाथ चतुर्वेदी(A D G),योगेंद्र नाथ चतुर्वेदी(कैविनेट सचिव),भगवत स्वरूप चतुर्वेदी(उत्तर प्रदेश के पहले आईजी),अशोक चतुर्वेदी(REW चीफ),सुधीर चतुर्वेदी (मुख्य सचिव),पृथ्वीनाथ चतुर्वेदी(शिक्षा सचिव)अतुल चतुर्वेदी(सलाहकार प्रधानमंत्री),कृष्णकांत चतुर्वेदी (DGP) रहे, अजय चतुर्वेदी(पी सी एस),प्रशांत चतुर्वेदी (आई पी एस), अरविन्द चतुर्वेदी (कर्नल),वी एन चतुर्वेदी(जज) ,शैलेंद्रनाथ चतुर्वेदी (चांसलर),अभषेक चतुर्वेदी(कैप्टन),गौरव(आई ए एस) आदि ऐसे कई आला अधिकारी हुए जो इस क्षेत्र रास्ट्रीय पटल पर अगुवानी करते रहे।
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