Wednesday, May 6, 2020

चंबल के इस गांव में हर घर से निकलता है सैनिक, गांव के जाबाज अफसर के नाम पर है जम्मू में आरएस पुरा सेक्टर Rudmuli

41 वर्ष पूर्व हुए उस युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में आगरा की बाह तहसील के 350 जवानों ने महती भूमिका निभाई थी। इनमें से 88 सैनिक अकेले रुदमुली गांव के थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा था।
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 आज आपको देश के ऐसे गांव और इसके शानदार इतिहास से रूबरू कराते हैं जिसकी मिट्टी में देशभक्ति और देश पर न्योछावर हो चुके उन शहीदों की राख है, जी हां आगरा से करीब 75 किलोमीटर दूर बाह तहसील के गांव रुदमुली से हर घर से कोई न कोई सपूत आज फ़ौज में रहकर देश की रक्षा में लगा है साथ ही आज तक इस गाँव से दर्जनों वीर सपूतों ने देश पर जान न्योछावर कर शहादत दी है और आज इसलिए लोग इस रुदमुली गांव को शहीदों के गांव के नाम से भी जानते हैं।
इस रुदमुली गांव की मिट्टी में आज भी शहादत की खुशबू आती है। बाह से करीब 4 किलो मीटर दूर स्थित इस गांव से प्रथम विश्व युध्द से लेकर अब तक कई वीर सपूत अपनी शहादत दे चुके हैं। आज भी इस गांव में नौजवान पीढ़ी देश की सेवा के लिए फ़ौज में जाने के लिए कड़ी मेहनत करते दिखाई देते हैं। इस गांव से हजारों बेटे अब तक देश की सेवा में जा चुके हैं जिसमें देश की हर एक लड़ाई में शहादत भी दी है।
इस गांव में रहने वाले परिवार जिनके सपूतों ने इस देश के लिए शहादत दी उनको अपने परिवार के लाल पर फक्र है यहां इस गांव से चीन और पाकिस्तान के खिलाफ हुई कई जंग में दर्जनों सपूतों ने शहादत दी है। जम्मू के पुंछ में आरएस पुरा सेक्टर जिस ब्रिगेडियर रणबीर सिंह के नाम पर रखा गया है वो ब्रिगेडियर रणबीर सिंह भी इसी रुदमुली गांव के ही रहने वाले हैं और उनकी हवेली आज भी है।
 गांव के रिटायर फौजी देवेंद्र सिंह कहते हैं कि इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित 16 दिसंबर सन् 1971 का वह दिन याद करते ही सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। ये वही दिन है जब भारतीय रणबांकुरों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाकर उन्हें हथियार डालने को मजबूर किया था। अपने युद्धकौशल से ढाका, हिल्ली, अकोरा, पोस्ट को कब्जाते हुए पाक सेना को बामेर तक खदेड़कर तिरंगा फहराया था। 41 वर्ष पूर्व हुए उस युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने में आगरा की बाह तहसील के 350 जवानों ने अपनी भूमिका निभाई थी। इनमें से 88 सैनिक अकेले रुदमुली गांव के थे जिन्होंने पूर्वी और पश्चिमी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा था।

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